जब खुद में लड़ने का दम नही था तो गीता के श्लोक को आधा करके लोगो को नपुंसक बना दिया समाज के ठेकेदार कहे जाने वालो ने । ""अहिंसा परमो धर्म :""लोगो को पूर्ण श्लोक नही बताया गया ! ""अहिंसा परमो धर्म: , धर्म हिंसा तथैव च:"""" अतार्थ यदि अहिंसा परम धर्म है तो धर्मकी रक्षा के लिए भी हिंसा परम धर्महै"" (जब जब धर्म पर संकट आये तब तब तुम शस्त्र उठाना) भगवान कृष्ण ने भी अंततः भीष्मपितामह को मरने के लिए रथका चक्का उठा ही लिया था |
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