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सोमवार, 6 फ़रवरी 2017
रविवार, 5 फ़रवरी 2017
UP में रिचार्ज करने वाले 500 रुपये में सुन्दर लड़की और 50 रुपये में साधारण लड़की के नंबर बेच रहे हैं
सरकार बेशक कितनी भी महिला सुरक्षा की बात कर ले. 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के नारे दे ले, पर असलियत ये है कि महिलाएं तब तक सुरक्षित नहीं है, जब तक हम खुद उनका सम्मान नहीं करते. बंगलुरु में हुई नए साल की घटना ने जहां सारे देश को शर्मसार किया, वहीं अब भी कुछ ऐसे बेशर्म लोग हैं, जो खुले आम महिलाओं को वासना की वस्तु समझने पर तुले हुए हैं.
ताज़ा मामला उत्तर प्रदेश का है, जहां पुलिस ने दावा किया है कि राज्य में लड़कियों के मोबाइल नंबरों की खुलेआम बिक्री हो रही है. हिंदुस्तान में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, ये मोबाइल नंबर, फ़ोन रीचार्ज करने वाली दुकानों पर खुलेआम बिक रहे हैं.
हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक लड़कियों की सुन्दरता के आधार पर उनके फ़ोन नंबर के रेट भी अलग-अलग हैं. अगर लड़की साधारण दिखने वाली है, तो उसके नंबर के 50 रुपये लिए जाते हैं जबकि सुंदर लड़की का नंबर 500 रुपये में बेचा जाता है. इसके अलावा ये खबर भी है कि लोगों को नकली नंबर उपलब्ध कराने के लिए जाली डाक्यूमेंट्स का इस्तेमाल किया जाता है.
हिंदुस्तान की ये रिपोर्ट आगे कहती है कि 15 नवंबर 2012 से 31 दिसंबर 2016 के बीच महिला हेल्पलाइन पर कुल 6,61,129 शिकायतें आईं, जिनमें से 5,82,854 शिकायतें टेलीफ़ोन पर परेशान करने वालों को ले कर थीं.
100 रूपये का नया नोट हुआ लांच गांधी जी नोट से गायब
दोस्तों 2000 और 500 के बाद अब 100 रूपये का भी न्य नोट लांच हो गया है. यहाँ हम आपको दिखाने जा रहे है एक विडियो जिसमे बताया गया कि गाँधी जी नोट से कैसे गायब कर दिए गये है.
हालंकि ऐसे पहले कई नोट थे जिनमे गाँधी जी नही हुआ करते थे. लेकिन अब जब कई दशकों से गाँधी जी की फोटो नोट पे छपता आ रहा है. और अब अगर उनकी फोटो को हटाया जाता है तो मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती है. इस मुद्दे को विपक्ष चुनावों में भी उठा सकती है.
हालंकि ऐसे पहले कई नोट थे जिनमे गाँधी जी नही हुआ करते थे. लेकिन अब जब कई दशकों से गाँधी जी की फोटो नोट पे छपता आ रहा है. और अब अगर उनकी फोटो को हटाया जाता है तो मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती है. इस मुद्दे को विपक्ष चुनावों में भी उठा सकती है.
शनिवार, 4 फ़रवरी 2017
वैलेंटाइन डे की हकीकत
वैलेंटाइन डे की कहानी::!
मित्रो यूरोप (और अमेरिका) का समाज जो है वो रखैलों (Kept) में विश्वास करता
है पत्नियों में नहीं, यूरोप और अमेरिका में आपको शायद ही ऐसा कोई पुरुष या
मिहला मिले जिसकी एक शादी हुई हो, जिनका एक पुरुष से या एक स्त्री से सम्बन्ध
रहा हो और ये एक दो नहीं हजारों साल की परम्परा है उनके यहाँ | आपने एक शब्द
सुना होगा "Live in Relationship" ये शब्द आज कल हमारे
देश में भी नव-अिभजात्य वगर् में चल रहा है, इसका मतलब होता है कि "बिना शादी
के पती-पत्नी की तरह से रहना" | तो उनके यहाँ, मतलब यूरोप और अमेरिका में ये
परंपरा आज भी चलती है,
खुद प्लेटो (एक यूरोपीय दार्शनिक) का एक स्त्री से सम्बन्ध नहीं रहा, प्लेटो
ने लिखा है कि "मेरा 20-22 स्त्रीयों से सम्बन्ध रहा है" अरस्तु भी यही कहता
है, देकातेर् भी यही कहता है, और रूसो ने तो अपनी आत्मकथा में लिखा है कि "एक
स्त्री के साथ रहना, ये तो कभी संभव ही नहीं हो सकता, It's Highly Impossible"
| तो वहां एक पत्नि जैसा कुछ होता नहीं | और इन सभी महान दार्शनिकों का तो
कहना है कि "स्त्री में तो आत्मा ही नहीं होती" "स्त्री तो मेज और कुर्सी के
समान हैं, जब पुराने से मन भर गया तो पुराना हटा के नया ले आये " | तो बीच-बीच
में यूरोप में कुछ-कुछ ऐसे लोग निकले जिन्होंने इन बातों का विरोध किया और इन
रहन-सहन की व्यवस्थाओं पर कड़ी टिप्पणी की | उन कुछ लोगों में से एक ऐसे ही
यूरोपियन व्यक्ति थे जो आज से लगभग 1500 साल पहले पैदा हुए, उनका नाम था -
वैलेंटाइन | और ये कहानी है 478 AD (after death) की, यानि ईशा की मृत्यु के
बाद |
उस वैलेंटाइन नाम के महापुरुष का कहना था कि "हम लोग (यूरोप के लोग) जो
शारीरिक सम्बन्ध रखते हैं कुत्तों की तरह से, जानवरों की तरह से, ये अच्छा
नहीं है, इससे सेक्स-जनित रोग (veneral disease) होते हैं, इनको सुधारो, एक
पति-एक पत्नी के साथ रहो, विवाह कर के रहो, शारीरिक संबंधो को उसके बाद ही
शुरू करो" ऐसी-ऐसी बातें वो करते थे और वो वैलेंटाइन महाशय उन सभी लोगों को ये
सब सिखाते थे, बताते थे, जो उनके पास आते थे, रोज उनका भाषण यही चलता था रोम
में घूम-घूम कर |
संयोग से वो चर्च के पादरी हो गए तो चर्च में आने वाले हर व्यक्ति को यही
बताते थे, तो लोग उनसे पूछते थे कि ये वायरस आप में कहाँ से घुस गया, ये तो
हमारे यूरोप में कहीं नहीं है, तो वो कहते थे कि "आजकल मैं भारतीय सभ्यता और
दशर्न का अध्ययन कर रहा हूँ, और मुझे लगता है कि वो परफेक्ट है, और इसिलए मैं
चाहता हूँ कि आप लोग इसे मानो", तो कुछ लोग उनकी बात को मानते थे, तो जो लोग
उनकी बात को मानते थे, उनकी शादियाँ वो चर्च में कराते थे और एक-दो नहीं
उन्होंने सैकड़ों शादियाँ करवाई थी |
जिस समय वैलेंटाइन हुए, उस समय रोम का राजा था क्लौड़ीयस, क्लौड़ीयस ने कहा
कि "ये जो आदमी है-वैलेंटाइन, ये हमारे यूरोप की परंपरा को बिगाड़ रहा है, हम
बिना शादी के रहने वाले लोग हैं, मौज-मजे में डूबे रहने वाले लोग हैं, और ये
शादियाँ करवाता फ़िर रहा है, ये तो अपसंस्कृति फैला रहा है, हमारी संस्कृति
को नष्ट कर रहा है", तो क्लौड़ीयस ने आदेश दिया कि "जाओ वैलेंटाइन को पकड़ के
लाओ ", तो उसके सैनिक वैलेंटाइन को पकड़ के ले आये |
क्लौड़ीयस नेवैलेंटाइन से कहा कि "ये तुम क्या गलत काम कर रहे हो ? तुम अधमर्
फैला रहे हो, अपसंस्कृति ला रहे हो" तो वैलेंटाइन ने कहा कि "मुझे लगता है कि
ये ठीक है" , क्लौड़ीयस ने उसकी एक बात न सुनी और उसने वैलेंटाइन को फाँसी की
सजा दे दी, आरोप क्या था कि वो बच्चों की शादियाँ कराते थे, मतलब शादी करना
जुर्म था | क्लौड़ीयस ने उन सभी बच्चों को बुलाया, जिनकी शादी वैलेंटाइन ने
करवाई थी और उन सभी के सामने वैलेंटाइन को 14 फ़रवरी 498 ईःवी को फाँसी दे
दिया गया |
पता नहीं आप में से कितने लोगों को मालूम है कि पूरे यूरोप में 1950 ईःवी तक
खुले मैदान में, सावर्जानिक तौर पर फाँसी देने की परंपरा थी | तो जिन बच्चों
ने वैलेंटाइन के कहने पर शादी की थी वो बहुत दुखी हुए और उन सब ने उस
वैलेंटाइन की दुखद याद में 14 फ़रवरी को वैलेंटाइन डे मनाना शुरू किया तो उस
दिन से यूरोप में वैलेंटाइन डे
मनाया जाता है | मतलब ये हुआ कि वैलेंटाइन, जो कि यूरोप में शादियाँ करवाते
फ़िरते थे, चूकी राजा ने उनको फाँसी की सजा दे दी, तो उनकी याद में वैलेंटाइन
डे मनाया जाता है | ये था वैलेंटाइन डे का इतिहास और इसके पीछे का आधार |
अब यही वैलेंटाइन डे भारत आ गया है जहाँ शादी होना एकदम सामान्य बात है यहाँ
तो कोई बिना शादी के घूमता हो तो अद्भुत या अचरज
जब खुद में लड़ने का दम नही था तो गीता के श्लोक को आधा करके लोगो को नपुंसक बना दिया समाज के ठेकेदार कहे जाने वालो ने । ""अहिंसा परमो धर्म :""लोगो को पूर्ण श्लोक नही बताया गया ! ""अहिंसा परमो धर्म: , धर्म हिंसा तथैव च:"""" अतार्थ यदि अहिंसा परम धर्म है तो धर्मकी रक्षा के लिए भी हिंसा परम धर्महै"" (जब जब धर्म पर संकट आये तब तब तुम शस्त्र उठाना) भगवान कृष्ण ने भी अंततः भीष्मपितामह को मरने के लिए रथका चक्का उठा ही लिया था |
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